राष्ट्र मंडल खेल खतरे में हैं क्यों? क्योंकि एक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा सकते हम .बड़े संस्कारों की दुहाई देते हैं हम. ” अतिथि देवो भव : का नारा लगाते हैं परन्तु अपने देश में कुछ मेहमानों का ठीक से स्वागत तो दूर उनके लिए सुविधाजनक व्यवस्था भी नहीं कर पाए. इतनी दुर्व्यवस्था कि मेहमान भी आने से मना कर करने लगे. और कितनी शर्मिंदगी झेलने की शक्ति है हममें ? बस एक दूसरे पर उंगली उठा देते हैं हम .हंगामा बरपा है जनता कहती है कि ये राष्ट्रमंडल खेल बचपन खा गए , जनता को असुविधा हो रही है,अचानक से सबके अधिकारों का हनन होने लगा है और सरकार कहती है कि शादी और खेलों के लिए ये समय अनुकूल नहीं ..वाह क्या लॉजिक है. क्या आसान तरीका है अपना पल्ला झाड़ने का ,अरे क्या ये हमारा देश नहीं ? क्या उसकी इज्जत की खातिर थोड़ी असुविधा नहीं झेल सकते हम ? मुझे याद है चीन जैसे देश में एक एक नागरिक ओलम्पिक की तैयारी में कमर कस के जुट गया था, हर इंसान अंग्रेजी सीख रहा था कि आने वाले मेहमानों की सहायता कर सके .पर हम तो महान देश के महान नागरिक है. हम सिर्फ मीन मेंख निकालेंगे और अपने संस्कारों की दुहाई देते रहेंगे बस .क्यों नहीं हम कुछ अच्छा सीख सकते किसी से ?
इस रविवार को लन्दन में गणपति विसर्जन किया गया एक ऐसा त्योहार मनाया गया जिसे पर्यावरण के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता, परन्तु फिर भी यहाँ रह रहे हिन्दू निवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए और उनकी सुविधानुसार इसे परंपरागत रूप से मनाने के लिए सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं .देश के कुछ बड़े समुद्री किनारों पर बाकायदा विसर्जन की व्यवस्था की जाती है जिसमें सभी सरकारी महकमो का पूर्ण रूप से योगदान रहता है .
पास ही एक “साऊथ एंड बाये सी” पर रविवार को यह उत्सव मनाया गया बहुत बड़ा पंडाल लगाया गया था . सुरक्षा के तौर पर पूरी पुलिस टीम मौजूद थी, आपातकालीन एम्बुलेंस की व्यवस्था थी और आने जाने वालों के लिए सुबह से शाम तक का भंडारा .गणपति बाप्पा मोरिया के स्वर क्षितिज तक गूँज रहे थे समुन्द्र के एक छोटे से किनारे को काट कर एक खास स्थान बनाया गया था जहाँ पर विसर्जन किया जा रहा था .सरकरी महकमे के कई गणमान्य व्यक्ति वहां मौजूद थे और भाषा की अनभिज्ञता के वावजूद उत्सव में पूरे जोश के साथ हिस्सा ले रहे थे . कितने गर्व के साथ हौंसलो इलाके के “मेयर” ने कहा था कि उन्हें गर्व है अपने इंग्लिश होने पर और अपने देश पर, जो इतने सुव्यवस्थित तरीके से बाहरी समुदायों के ऐसे आयोजनों को आयोजित कर पाते हैं और उनमें पूरे दिल से हिस्सा लेते हैं” .
वहां विसर्जन देखने वालों में स्थानीय अंग्रेज़ नागरिक भी भारी मात्रा में थे , जिन्हें ख़ुशी महसूस हो रही थी कि उन्हें इस तरह के उत्सव को देखने का मौका मिला . उनके मुताबिक वो भी अपने अन्दर एक उर्जा का एहसास कर रहे थे .
क्या इस आयोजन की तैयारियों से उन्हें असुविधा नहीं हुई होगी ? पूरे दिन लाउड स्पीकर पर ऐसी भाषा सुनना जिसका एक शब्द उन्हें समझ में नहीं आता , समुद्री किनारे का पूरी तरह जाम होना , उनके समुद्री किनारे क्या गंदे नहीं हो रहे थे ? – परन्तु नहीं …इन सबसे ऊपर थी उनकी अपने देश के प्रति भावना एक अच्छे मेज़बान और जिम्मेदार नागरिक की तरह वे हर तरह से अपना योगदान दे रहे थे.
बाएं से दायें तीसरे नंबर पर हौंसलो इलाके के मेयर
बाकी गणमान्य व्यक्तियों के साथ
भंडारा गणपति का
गणपति बाप्पा मोरिया …
baat to shai he Shikah ji,
kahyaal to ho raha he , ye bat aur he ki afsaron ke aur netaon ke bank account/sweiss a/c ka kahyal khoob joro se hua he, ab isse fursat ho to
baki mehmano ka kahyalal bhi rakha jaye
Ye mera India/ i hate my India
sabki naak katne wali he
tayiar ho jao
sudnar aalkeh
बहुत ही शानदार पोस्ट
मुझे तो यकीन हीं नहीं हो रहा कि दीगर देश के लोगों ने हमारी आस्था और भावनाओं को ख्याल रखा.
बहुत ही अच्छा लगा
महान भारत और महान भारत वासियों
की मानसिकता को बयान करता हुआ आलेख
प्रासंगिक बन पडा है
और …
गणपति उत्सव की झांकियां मन-मोहक लगीं
बहुत सुन्दर चित्र। जय गणेश देवा।
गणपति जी के विसर्जन के चित्र देख तो लगा ही नहीं…कि किसी विदेशी धरती पर यह आयोजन किया जा रहा है…सचमुच साधुवाद के पात्र हैं वे लोग,कि इतनी अच्छी तरह ..दूसरे देश के लोगों की भावनाओं का सम्मान किया.
और जहाँ तक कॉमन वेल्थ गेम्स की बात है क्या कहा जाए….आज ही साधना जी ने भी बड़ी अच्छी पोस्ट लिखी है…बस, अब तो यही कामना है…जो लोग भी शामिल हों,उन्हें कम से कम असुविधा का सामना करना पड़े और सब कुछ अच्छी तरह निबट जाए.
कह नही सकता इसे पढकर कितना अच्छा लगा ! उन्होनें कितनी परवाह की भारतीय नागरिकों के ज़ज़्बातों /आस्थाओं की !
अनुकरणीय !
यकीन नही होरहा है पर आपने शक की कोई गुंजाईश भी नही चोडी है, चित्र देखकर बडा आनंदित हुये, शुभकामनाएं.
रामराम
जब पूरे देश में अपनी डफली अपना राग चल रहा हो तो मेहमानों का आगमन कहाँ से सुने ?
फिर आवभगत की तो बात ही क्या ?
लगता है आने वालो सालो में हमे विदेशो से ही अपने त्यौहार का आयोजन सीखना होगा ?
एक और बात है आज जब भी विदेशो में भारतीय त्यौहार के बारे में देखने पढने को मिलता है तो वहां बाकायदा भारतीय पोशाक पहने होते है भारतीय भी ओउर विदेशी भी किन्तु पिछले कुछ सालो में भारत में देखने में आया है की ज्यदातर महिलाये विदेशी कपड़ो में ही होती है आरती करते हुए ?
बहुत अछि लगी आपकी ये पोस्ट |
बहुत सार्थक पोस्ट है …विदेश में भारतीयों की आस्था को बनाये रखने का और उत्सव को इस तरह मनाने का आयोजन देख बहुत प्रसन्नता हुई …भारत में देश्बासी तो चाहते हैं कि देश का गौरव बढे …हम भी अच्छे मेज़बान साबित हों …और शायद इसी लिए चिंतित भी हैं कि क्या देश की इज्ज़त बच पायेगी ? जब सरकारी तंत्र भ्रष्ट हो ..उनको अपने बैंक में पैसे जमा करने से ही फुर्सत न हो , .जनता के अकूत धन का दुरुपयोग हो रहा हो , और गरीब आदमी अपनी रोज़ी रोटी के जुगाड में पिस रहा हो तो आम जनता सिर्फ चिन्ता ही कर सकती है …आज एक पुल टूटा है तो कहीं पानी भरा है ..जितना काम करना था वो सरकारी लोगों के ढीले रवैये से पूरा न हुआ हो तो जनता क्या करेगी ? फिर भी एक उम्मीद और कामना है कि जैसे भी हो यह खेल अच्छे से हों और यहाँ आने वाले मेहमान सब खुश रहें ..किसी परेशानी का सामना न करना पड़े …
काश यह पोस्ट वो लोंग पढ़ पाते जो खेलों को कराने की ज़िम्मेदारी को मजाक बनाये हुए हैं …
गैर मुल्क में अपनी संस्कृति की झलक देखकर मन प्रफुल्लित हुआ और संतोष हुआ की हमारी अगली पीढ़ी तक ये संस्कार जायेंगे चाहे वो जिस मुल्क में रहते हो. बहुत ही सुन्दर और सजीव चित्र . काश , राष्ट्र मंडल खेलो की तैयारी में लिप्त भ्रस्टाचारी लोग ऐसा सोच पाते . मन खिन्न हो गया है सुन सुनकर. अच्छा आलेख .
आलेख बहुत कुछ सोंचने को मजबूर करता है। झाकी देख मन खुश हो गया।
वाह बहुत मज़ा आया पोस्ट पढ़कर और चित्र देखकर.. लगा कि मैं भी कहीं आस-पास ही था.. इस सब से सबक लेने की जरूरत है हमें.. वर्ना बस मंत्रोच्चार ही करते रह जायेंगे कि 'अतिथि देवो भवः'.. बहुत शानदार पोस्ट.
बहुत सुंदर लिखा आप ने, अब अपने देश के बारे क्या लिखे सब कुछ देख ही रहे है, वेसे इन सब बातो का पहले से ही पता था. काश कभी हम भी जिम्मेदारी को सही निभा सके… वेसे अभी अभी मेने एक पोस्ट गणेश जी पर प्रकाशित की है, लेकिन कुछ अलग आंदाज मै
वेसे विदेशो मै यह लोग हमारी भावनाओ को ज्यादा समझते है, इज्जत देते है, आप से सहमत हुं
वाह! गणपति बप्पा मोरया…
गणपति बाप्पा मोरया
शुभकामनायें
shikha ji,
hamare desh mein bahut saral aur sahaj hai har samasya ke liye ye kahna ki ''sattadhari party ki wajah se ye sab ho raha''. aur fir apne kartavya ki itishree.
bhrashtachari koi ek nahi hai sab ho chuke hain. ab to samay seema samapt hai, jo beizzati honi hai wo to honi shuru ho chuki desh ki. lekin kya fir bhi koi seekh lega? kuchh nahin hona. angrej to bahut se mamle mein humse bahut behtar hain. ab to yahi lagta hai ki ganpati bappa ho ya koi aur sab is desh ke bahar hi surakshit hai.
achha laga wahan ke baare me jaankar.
shubhkaamnaayen.
बहुत बेहतरीन पोस्ट ….चित्र भी बहुत अच्छे है
गणपति महाराज तो इलाहाबाद में भी आज ही विसर्जित किये गये… बहुत तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी.… इतनी तगड़ी कि यूनिवर्सिटी गेट के उस पार वो थीं और इस पार हम… उस पार हम जाना चाहे लेकिन हाय रे किस्मत! कभी साथ नहीं देती… 😛
आप मेहमाननवाज़ी की बात करती हैं… इधर 24 सितम्बर को मन्दिर मस्जिद पर इलाहाबाद में बवाल होने की आशंका है… अपने देश में रहकर ही लोग इतना डरे हैं कि आधे दोस्त इलाहाबाद छोड़कर अपने घर चले गये कि घर पर कोई नही है कुछ गड़बड़ हुई तो मोर्चा वो खुद संभालेंगे…
ज्यादातर लोग तो 1 हफ्ते का राशन पानी इकट्ठा कर ले रहे हैं कि कर्फ्यू लगा तो भूखे नही मरेंगे…
इतना डर अपने ही लोकत्रांतिक देश में…
बाकी तो सब जानते हैं
लन्दन की जानकारी मिल गई..यहाँ की दे नहीं पा रहे काहे से गये ही नहीं अभी तक. 🙂
गणपति बाप्पा मोरिया …
उम्दा लेखन के लिए आभार
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
बहुत सुन्दर रही चित्रमय झँकियाँ!
सचमुच हम भारतीयों को इस पर विचार करना चाहिए …
जिस तरह विदेशों में हमारी आस्था और विश्वास का मान रखा जाता है , हमें क्यूँ नहीं रखना चाहिए …
हमें हमारी संस्कृति , सभ्यता सब पुनः विदेशियों से ही सीखनी पड़ेगी …अस्चर्या है कि बार- बार विदेश भ्रमण कर आये ये डेलिगेट्स कुछ नहीं सीखते ….
गणपति बप्पा की कृपा से इतना अच्छा आयोजन, आनंदित कर गया…
उन्होंने हमारी भावनाओं का ख्याल रखा…इसलिए कि आप जैसे लोगों ने तिरंगे का मान पराई ज़मीन पर रहते हुए भी ऊंचा रखा हुआ है…आप एक ज़िम्मेदार नागरिक की हैसियत से उनके सभी क़ानूनों का पालन करते हुए उनकी तरक्की में बरसों से योगदान देते आ रहे हैं…
एक चीज़ और मैंने नोट की…गणेश प्रतिमा का छोटा होना…यानि अपनी नदियों, समुद्र के प्रदूषण का भी उन्हें कितना ख्याल है…और यहां मुंबई में अभी इस साल का आंकड़ा तो नहीं आया है लेकिन पिछले साल विसर्जन के दिन एक लाख सत्तासी हज़ार छोटी-बड़ी गणपति प्रतिमाएं विसर्जित की गई थीं…
जय हिंद…
London me Ganpati padh kar achcha laga. Hume unse seekhne ki jaroorat hai. Hum ulti seedhi cheejen to jaroor seekh jate hain nahi seekh pate toimandari mehanat aur apne kam par apne desh par abhiman karna kaya wacha aur man se.
वाह, मजा आ गया पढ़ के ये वाला पोस्ट..हमने भी सुना है की वहां ऐसी तैयारियां की जाती हैं कुछ भारतीय पर्व को लेकर..और आज तस्वीरें देख अच्छा भी लगा..
बिलकुल भी नहीं लग रहा है की तस्वीरें लन्दन की हैं..ऐसा लग रहा है जैसा यहीं हमारे आसपास की हैं.
बहुत बहुत अच्छी पोस्ट 🙂
सहमत ,यहाँ तो सचमुच बड़ी शर्मनाक स्थिति हो गयी है ………..दुखद !
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
सुन्दर और आकर्षक चित्रों के साथ बहुत ही बढ़िया और शानदार पोस्ट रहा! गणपती बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!
मुझे तो आपका लेख पड़ते हुए शर्म आ रही है, आप लोग परदेस में रहकर भारत के गुणगान करते है, जिससे प्रभावित होकर विदेशी भारत आते है. मगर यहाँ आकर जो तस्वीर दिखती है, वाकई हम सब के लिए शर्म की बात है.
विदेशी तो किया, विदेशो में रहने वाले भारतीय भी ख़राब सिस्टम की वजह से भारत आना पसंद नहीं करते|
हम चीन से हर मामले में पीछे हो रहे है, क्योकि हमारे अन्दर का स्वाभिमान मर चुका है|
बाकी आपको गणपति उत्सव की बधाई, और वहा की तस्वीरे ब्लॉग पर जारी करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|
बहुत बहुत बधाई। हम लोग उनसे अच्छी बातें कहाँ सीखते है? बहुत अच्छा लगा उनका ये अथिथी सत्कार। धन्यवाद।
कभी कहा जाता था कि हिन्दुस्तानियो का दिल बहुत बडा होता है मगर अब संकुचित होता जा रहा है……………बहुत ही सुन्दर झलकियाँ दिखाईं। काश ! इतनी ज़िन्दादिली यहाँ भी होती।
Ganpati bappa maurya!! ganpati puja ka report achchha bhaya…….tis par aap ke lekhan aur photo ka kamal hota hai jis karan aur manbhawan tha!!
lekin jahan tak commonwealth games kee baat hai……pata nahi kyon, mujhe aaj bhi ye sab padh kar achhha nahi lagta……….kyon ham sirf burayee karte hain……!! kyon nahi abhi sirf iss baat ki charcha hotee hai ki jo bhi kiya ja raha hai, wo ek shandar event ka agaaj bhar hai….aur sirf dil se BEST WISHES FOR THIS GAMES nikle………
waise sach kahun chines ne koi english winglish nahi seekhi hogi, ye wahan ke media ka kamal hoga, jo ham aisa mante hain………problem Media aur janmanas me ho gayee hai, sarkar jo bhi kare………wo bekar hi hota hai, isko badalne kee jarurat hai……..
Lastly I hope ye grant event successfull hoga………dekh lena!!
Yes MUkesh ji ! lets hope for the best 🙂
आमीन ….
bahut achhi khabar hai yeh!…man prasanna ho uthha!…ganpati bappa moryaa!….badhaaI!
लन्दन में गणेश विसर्जन की रिपोर्ट पढ़ कर खुशी हुई. भारतवंशी जहां भी हैं अपनी जड़ों से जुड़े हैं यह साक्षात देखा, अच्छा लगा. मेयर साब भी गणपति बाप्पा मोरया बोलना सीख जाएंगे अगर आ कर यहाँ की झांकियां देख ली तो. राष्ट्र मंडल खेलों में चल रही सिर-फुटव्वल की खबर ब्रिटेन भी जा पहुची, दुखद है, हम नहीं सुधरने वाले.
अरे रमेश जी ! मेयर बोले @गणपति बाप्पा मोरिया " अपने भाषण के शुरू में ही.:)
बहुत अच्छी पोस्ट…बड़ा संदेश देती हुई.
खूबसूरत चित्रों के साथ भारतीय संस्कृति को सात समुंदर पार देख कर एक सुखद अनुभूति …शानदार प्रयास के लिए बधाई
विदेश में बसे हिन्दुस्तानी भी गणेश उत्सव मनाते है , पहले नहीं पता था , आपको धन्यावाद
ऐसी परंपारों से पॉज़िटिव एनर्जी आनी चाहिए … जो कम से कम भारत में (ऐसे दृश्य जो अभी अभी राज भाटिया जी के ब्लॉग पर ड़ख कर आ रहा हूँ) तो नही आ सकती …. विसर्जन के पश्चात गणेश जी की उन पूर्तियों का क्या हश्र होता है … ये देख कर दिल में क्षोभ ही उठ सकता है …. ये बहुत अच्छी बात है की अपने उताव मनाने को लेकर विदेश में पयवरण को लेकर जागरूकता है और संस्कार और जीवन शैली को मिला कर उत्सव मनाए जाते हैं …
बहुत सुन्दर चित्र। जय गणेश देवा।
बस एक दूसरे पर उंगली उठा देते हैं हम …..हम सिर्फ मीन मेंख निकालेंगे और अपने संस्कारों की दुहाई देते रहेंगे
अभी पूरी दुनिया में जो हमारी भद पिट रही है उसकी और मिसाल नहीं.
लन्दन में गणेशोत्सव की झांकी देख कर अच्छा लगा.
चित्र देखकर मन खुश हो गया।….
बहुत सुन्दर चित्र और बहुत सार्थक पोस्ट
गणपति बाप्पा मोरिया
काश! हमारे हिंदुस्तान में भी सब कुछ इतना वेल अरेंज्ड होता… आपने इस पोस्ट को बहुत अपनी ही तरह ही सुंदर तरीके से व्यवस्थित रूप से लिखा है…
नोट: बहुत देर से कमेन्ट पोस्ट करने की कोशिश कर रहा हूँ … अबकी बार शायद हो जाए…
हाँ हो तो गया…. ह्म्फ़ ह्म्फ़ ह्म्फ़ ……..
सीधे 45 नंबर के बाद
कौन कहता है "छोड़ आए हम वो गलियाँ"
बेचारे गोरों के पास अब कोई ऑप्शन भी तो नहीं
अब हमरे लिए त कुछ बचबे नहीं किया कहने को.. अच्छा लगा अंगरेज़ों के जमीन पर गणपति जी को देखकर.. अऊर यहाँ होने वाला दुर्दसा पर रोना भी आया… जमुना जी भी जोर लगाकर देख लीं, वहाँ तक नहीं पहुँच पाईं… ख़ैर जो होगा वो बस कुछ ही दिन का बात है!!
बहुत सुन्दर चित्र……….
शानदार पोस्ट……….अपनी संस्कृति की झलक देखकर बहुत अच्छा लगा !
वाह गणपति जी महाराज विराजो जी, पहले तो विश्वास ही नही हुआ पर सचमुच अच्छा लगा बप्पा हर दिल में राज करें बस यही उपकार होगा।
jai shree ganeshay nam:
man harshit bhi hua aapka ye lekh padhkar or is baat ka dukh bhi hai ki khelo ke naam par karoo ek lakh crore rs. ka pata bhi nahi chala ki kahan gaye or hua kya bhavnaaon se khel .
आपका बहुत बहुत धन्यवाद शिखा जी… आप मेरे ब्लॉग पर पधारीं और अपना समय दिया …
aapki post padhkar bahut achha laga… pardes mein bhi agar apna desh mil jaaye to kya baat hai ….jai ganpati bappa ….:))
shikha,
hamen lagata hai ki ham jitana chillate hain utana kar nahin pate aur kahin bhi asuvidha ke liye jitana ham show karte hain utana ham jhelte nahin hai.
mejbani lena bade garv ki baat hai lekin ye sharm ki bat hai ki ham 3 salon men bhi usa vyavastha ko poora nahin kar paaye balki ye kitanon ke liye 'kamai' ka sadhan ban gaya.
london men ganapati pooja ke vishay men jaanakari kuchh sabak lene kabil hai.
ab je kaahe ki ham sudharne waale to hai nahee. ham jaise maajne ke hai vaisei to rahinge, kyo ji?
ab rahee baat paryaavan faryaavan kee, lo kar lo vaat, hamanne kaa theko le rakho hai paryaavaran theekh rakhve ko?
common wealth ko tamanne matalb pato nai deekhe. common aadmee kee wealth kee machak ke loot maar
aur kaa kahe u mayor sahab ku hamaree thanku kah deejon. khob badhiya tareeka se jo manwa diyo i u kaa hai ganesh visarjan.
thodee likhee bahut samajhiyo aur u jo aur ganmaanya jane waha pe hatte un sabankoo hamaar namaskar.
punashch: un sab angrejankoo tamaasho dekhve ko dhanyabaad aur hamaare taraf se hamaaree aaj kee post un sabankoo padhve koo deejiyo.
http://hariprasadsharma.blogspot.com/2010/09/blog-post_24.html
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अदभुत….हर ओर गणेशा…भारत से लन्दन तक..जय हो.
______________
'शब्द-शिखर'- 21 वीं सदी की बेटी.
बहुत अच्छी पोस्ट है शिखा जी. दिल्ली के लोग पहले सरकार की आलोचना ज़रूर कर रहे थे क्योंकि सरकार खेलों का काम ठीक से नहीं करा सकी और आख़िरी समय में शीघ्रता से करवाने के चक्कर में पूरे शहर को अस्त-व्यस्त कर डाला. लेकिन, अब यहाँ के लोग भी मेहमानों के स्वागत के लिए पूरी तैयारी में हैं. कई स्वयंसेवी संगठन और स्कूल-कालेजेज़ आगे आये हैं जगह-जगह सफाई और अन्य व्यवस्थाओं के लिए.
जन्मदिन पर आपकी शुभकामनाओं ने मेरा हौसला भी बढाया और यकीं भी दिलाया कि मैं कुछ अच्छा कर सकता हूँ.. ऐसे ही स्नेह बनाये रखें..
This comment has been removed by the author.
देश की संस्कृति, और गैरमुल्कीय संस्कृति को महत्त्व देना , लन्दन में भारत के बप्पा की पूजा सभी कुछ अच्छा लगा.
– विजय
इस प्रविष्टि को अवश्य पढ़ें
शिखा जी पोस्ट को तो काफी दिन हो गए मैं ही नहीं आ पाई शायद …..
बहुत अच्छी जानकारी दी ..वहाँ भी भारतियों की भावनाओं का इस कद्र ख्याल किया जाता है जानकार ख़ुशी हुई …..
यह भी दूसरी जगह जा कर भी लोग अपने त्योहारों को नहीं भूले और उसी उत्साह से मनाते हैं जानकार अच्छा लगा ….
आपने तस्वीरों के साथ साडी जानकारी दी …आभार ….!!
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