ना जाने कितने मौसम से होकर  गुजरती है जिन्दगी झडती है पतझड़ सी  भीगती है बारिश में  हो जाती है गीली  फिर कुछ किरणे चमकती हैं सूरज की  तो हम सुखा लेते हैं जिन्दगी अपनी  और वो हो जाती है फिर से चलने लायक  कभी सील भी जाती है जब कम पड़ जाती है गर्माहट फिर भी टांगे रहते हैं हम उसे …

अभी हाल ही में स्थानीय समाचार पत्र में एक समाचार आया कि एक दंपत्ति ने अपने बच्चे का एक स्कूल में रजिस्ट्रेशन  उसके पैदा होने से पहले ही करा दिया .क्योंकि उन्हें डर था कि समय पर उन्हें उनके इलाके का और उनकी पसंद का स्कूल नहीं मिलेगा और वो अपनी पसंद के प्रतिकूल  स्कूल में बच्चे को भेजने के…

मोस्को में मेरी एक बहुत अच्छी मित्र थी श्रीलंका की… इतना अच्छा चिकेन बनाती  थी ना …रहने दीजिये वर्ना बाकी पोस्ट नहीं लिखी जाएगी .और इसका राज़ वो बताती थी वहां के मसाले .और भी बहुत  सी बातें की मोती बहुत अच्छे मिलते हैं वहां ,समुंद्री किनारे बहुत खूबसूरत हैं वगैरह वगैरह ..जिन्हें सुन सुन कर मेरा भी मन श्रीलंका देखने…

राष्ट्र मंडल खेल खतरे  में हैं क्यों?  क्योंकि एक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा सकते हम .बड़े संस्कारों की दुहाई देते हैं हम. ” अतिथि देवो भव : का नारा लगाते हैं परन्तु अपने देश में कुछ मेहमानों का ठीक से स्वागत तो दूर उनके लिए सुविधाजनक व्यवस्था भी नहीं कर पाए. इतनी दुर्व्यवस्था  कि  मेहमान भी आने से मना…

रहे बैठे यूँ चुप चुप पलकों को इस कदर भींचे कि थोडा सा भी गर खोला ख्वाब गिरकर खो न जाएँ . थे कुछ बचे -खुचे सपने नफासत से उठा के मैने सहेज लिया था इन पलकों में  जो खोला एक दिन कि अब निहार लूं मैं जरा सा उनको तो पाया मैंने ये कि सील गए थे सपने आँखों के खारे पानी से …

कुछ समय पहले एक परिचित भारत से लन्दन आईं थीं घूमने ..कहने लगीं यहाँ के  बुड्ढों  को देखकर कितना अच्छा लगता है ..कितने भी बूढ़े हो जाये अपना सारा काम खुद करते हैं घरवालों पर भी निर्भर नहीं रहते. अपना घर, अपनी कार , खुद सामान लाना ,अपने सारे काम करना .एक हमारे यहाँ के बुड्ढ़े  होते हैं  जरा उम्र बढ़ी  …

मॉस्को  स्टेट यूनिवर्सिटी  अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे हमारा वेरोनिश से मॉस्को  जाना तय हो गया था और हम हंसी ख़ुशी तैयारियों  में लग गये थे कि चलो अब कम से  कम इंडिया की  टिकट के लिए मॉस्को  के चक्कर लगाना  तो बचेगा..पर नहीं जी अगर इतना आसान सब हो जाये तो भगवान को पूछेगा ही कौन ? असली तूफान आना…

आइये आज आपको ले चलती हूँ एडिनबर्ग   .स्कॉट्लैंड की राजधानी.-  स्कॉट्लैंड- जो १७०७ से पहले एक  स्वतंत्र राष्ट्र था , अब इंग्लैंड का एक हिस्सा है और  ग्रेट ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के एक तिहाई हिस्से को घेरे हुए   है ,दक्षिण में इंग्लैंड की सीमा को छूता है तो पूर्व में नोर्थ सी को, जिसके उत्तर पश्चिम में अटलांटिक…

बच्चों की छुट्टियाँ ख़त्म होने को आ गईं हैं और उनका सब्र भी …ऐलान कर दिया है उन्होंने कि आपलोगों को हमारी कोई परवाह नहीं बस अपने काम से काम है. हम सड़ रहे हैं घर पर .बात सच्ची थी तो गहरा असर कर गई .इसलिए हम जा रहे हैं एक हफ्ते की छुट्टी पर बच्चों को घुमाने . तब…

वेरोनेश युनिवेर्सिटी. अब तक आप ये तो यहाँ  पढ़ ही चुके हैं कि कैसे हम गिरते पड़ते अपना रुसी भाषा का फाउन्डेशन कोर्स करने अपनी पहली मंजिल वोरोनेश तक पहुंचे थे | अब शुरू होता है उसके आगे का सफ़र. १९९०-९१  का वो समय  रशिया में पेरोस्त्रोइका  का था बहुत से बदलाव आ रहे थे | बाहरी दुनिया से रशिया का परिचय…