ना जाने कितने मौसम से होकर गुजरती है जिन्दगी झडती है पतझड़ सी भीगती है बारिश में हो जाती है गीली फिर कुछ किरणे चमकती हैं सूरज की तो हम सुखा लेते हैं जिन्दगी अपनी और वो हो जाती है फिर से चलने लायक कभी सील भी जाती है जब कम पड़ जाती है गर्माहट फिर भी टांगे रहते हैं हम उसे …
मोस्को में मेरी एक बहुत अच्छी मित्र थी श्रीलंका की… इतना अच्छा चिकेन बनाती थी ना …रहने दीजिये वर्ना बाकी पोस्ट नहीं लिखी जाएगी .और इसका राज़ वो बताती थी वहां के मसाले .और भी बहुत सी बातें की मोती बहुत अच्छे मिलते हैं वहां ,समुंद्री किनारे बहुत खूबसूरत हैं वगैरह वगैरह ..जिन्हें सुन सुन कर मेरा भी मन श्रीलंका देखने…
राष्ट्र मंडल खेल खतरे में हैं क्यों? क्योंकि एक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा सकते हम .बड़े संस्कारों की दुहाई देते हैं हम. ” अतिथि देवो भव : का नारा लगाते हैं परन्तु अपने देश में कुछ मेहमानों का ठीक से स्वागत तो दूर उनके लिए सुविधाजनक व्यवस्था भी नहीं कर पाए. इतनी दुर्व्यवस्था कि मेहमान भी आने से मना…
आइये आज आपको ले चलती हूँ एडिनबर्ग .स्कॉट्लैंड की राजधानी.- स्कॉट्लैंड- जो १७०७ से पहले एक स्वतंत्र राष्ट्र था , अब इंग्लैंड का एक हिस्सा है और ग्रेट ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के एक तिहाई हिस्से को घेरे हुए है ,दक्षिण में इंग्लैंड की सीमा को छूता है तो पूर्व में नोर्थ सी को, जिसके उत्तर पश्चिम में अटलांटिक…







