मोबाइल और टेबलेट जैसी नई तकनीकियों के आने से एक फायदा बहुत हुआ है कि कहीं कैफे या रेस्टौरेंट में अकेले बैठकर कुछ खाना पीना पड़े तो असहजता नहीं होती, यह एहसास नहीं होता कि कोई घूर रहा है. या कोई यह सोच रहा है कि भला अकेले भी कोई खाने पीने बाहर आता है. क्योंकि अब कोई भी, कभी भी, कहीं भी अकेला नहीं होता. हर एक के साथ कम से कम एक मोबाइल तो जरूर होता है जिसमें वह सिर घुसाए रहता है. अपने संगी साथियों से गुफ्तगू करते करते आराम से अपने व्यंजनों का आनंद लेता है. बराबर वाली सीट पर भी कोई अपने मोबाइल या लैपटॉप के साथ ही व्यस्त होगा. यहाँ तक कि नई पीढ़ी तो छ: – सात लोगों के साथ भी कहीं होती है तो आपस में एक दूसरे के साथ कम और इन गैजेट्स के साथ ज्यादा होती है.
इस मशीनी युग की इस “गैजेटी” स्थितियों में लगता तो है कि मानवीय संवेदनाएं कम हो गई हैं या फिर इतनी महत्वपूर्ण नहीं रहीं, अब किसी को कुछ भी करने के लिए इंसान नहीं बस बित्ते भर का गैजेट चाहिए. परन्तु सच शायद ऐसा है नहीं. जब तक इंसान के शरीर में दिल नामक अंग धड़केगा कहीं न कहीं मानवीय संवेदनाएं सांस लेती ही रहेंगी.
अब चूंकि इन गैजेटस के होते हुए भी मेरी घूरने की बीमारी कम नहीं हुई है ( आप चाहें तो मुझे पिछडा हुआ कह सकते हैं) और किसी कैफे में दोपहर के भोजन के समय मेरी आँखें और कान मोबाइल के होते हुए भी आस पास के लोगों पर ही लगे होते हैं सो हाल फिलहाल में मैंने कुछ ऐसे उदाहरण देखे, जिनसे मेरा यह ख्याल पुख्ता हो गया कि बेशक दुनिया मशीनी हो चली है परन्तु भावनाओं पर अब भी उसका कब्जा नहीं है.
आप भी देखिये –
दृश्य एक – स्टारबक्स का भरा हुआ हॉल, हर कोई अपने- अपने में मस्त. मेरे सामने दो मेज छोड़कर और कैफे के लगभग शुरुआत की मेज पर बैठी दो महिलायें. एक कुछ ३० वर्ष की और एक उससे कुछ कुछ अधिक उम्र की. हाव भाव से माँ- बेटी लग रहीं थी. (सो उन्हें हम माँ बेटी ही संबोधित करते हैं). जाने क्या बात थी. बेटी सुबक सुबक कर, आंसू भर – भर कर रो रही थी. माँ का लगातार बहुत ही धीमी आवाज में कुछ बोलना जारी था. बीच बीच में बेटी कुछ रूकती, टिशु से चेहरा पोंछती, कुछ वाक्य रुआंसी होकर बोलती और फिर से रोना शुरू कर देती. ऐसा क्या था जो उन्हें इस कदर परेशान कर रहा था कि वे घर तक जाने का इंतज़ार नहीं कर पा रही थीं. कुछ इतना गंभीर जो उन्हें इतना सार्वजनिक होने को विवश कर रहा था. सवाल था कि – क्या था जो मशीन नहीं काबू कर पाई थी.
दूसरा दृश्य इसके बिलकुल विपरीत था. वह आप पढ़िए नहीं, बल्कि सुनिए. यहाँ –
संवेदनाएं अभी बाकी हैं मेरे दोस्त 🙂
बिल्कुल सही कह रही आप | आज के समय में अपने मोबाईल के साथ यही महसूस होता है कि आप अकेले नहीं हो | इन्सान अपने में ही गुम रहता है |
'स्पंदन' 'दिल' में हो अथवा 'मोबाइल' में , 'ज़िन्दगी' तो फिर चलती रहेगी न ।
zindagi to chalti rhegi
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के – चर्चा मंच पर ।।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा – रविवार- 19/10/2014 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 36 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
इन यंत्रों के माध्यम से परस्पर जुड़ाव परोक्ष ही रहता है – कोई साथ लगता है पर होता नहीं –केवल आवाज़ और(दृष्यता भी हो सकती है ) लेकिन चेहरे का और अन्य भाव-बोध नहीं ,अनुभूति सघन नहीं अधूरापन रहेगा ही .लाख मन को मना ले कोई पर कहाँ तक -कभी-न-कभी बस से बाहर हो जाना स्वाभाविक है .
सटीक रचना
गैजेट्स ने ज़िन्दगी आसान बांयी हैं….काफी हद तक contented भी हैं लोग अपने मोबाइल्स/laptops के साथ …मगर हाथ में किसी का हाथ होना या मोबाइल होना दोनों में फर्क तो होगा ही न…..
तुम्हारी मीठी आवाज़ में प्यार की मीठी कहानी प्यारी लगी…….
🙂
अनु
मेरा मानना है यंत्र जितने बी साथ हो लें … मानवी संवेदनाएं हमेशा रहेंगी क्योंकि दिमाग नाम की एक चीज़ है इंसान के पास जो एक से ज्यादा (यंत्र के साथ साथ) जगह पे एक साथ काम करती है ….
आज कल यंत्र भी ज़रूरी हैं । मानवीय संवेदनाएं ख़त्म नहीं होतीं । अब देखो न हम भी तो जुड़े हैं इन यंत्रों के ही माध्यम से 🙂
Acheter De Viagra Levitra Lyoc generic cialis overnight delivery Viagra Generika Preisvergleich
Does your website have a contact page? I’m having problems locating it but, I’d like to shoot you an email. I’ve got some recommendations for your blog you might be interested in hearing. Either way, great site and I look forward to seeing it develop over time.
What i don’t realize is actually how you are now not actually much more smartly-favored than you might be right now. You’re very intelligent. You know thus significantly in terms of this topic, made me personally consider it from a lot of numerous angles. Its like women and men are not interested except it is something to accomplish with Lady gaga! Your personal stuffs nice. All the time handle it up!
Great blog here! Also your web site loads up fast! What web host are you using? Can I get your affiliate link to your host? I wish my website loaded up as quickly as yours lol