पता है; पूरे 18 साल होने को आये. एक पूरी पीढ़ी जवान हो गई. लोग कहते हैं दुनिया बदल गई. पर आपको तो ऊपर से साफ़ नजर आता होगा न. लगता है कुछ बदला है ? हाँ कुछ सरकारें बदल गईं, कुछ हालात बदल गए. पर मानसिकता कहाँ बदली ? न सोच बदली

आप होते तो यह देखकर कितने खुश होते न कि लड़कियां आत्म निर्भर होने लगीं हैं पर अच्छा है जो आप नहीं हैं, क्योंकि फिर दुखी भी होते कि इसके वावजूद भी कितनी बेबस और मजबूर महसूस करती हैं. आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर तो हो गईं पर आज भी अपने फैसले कहाँ खुद ले पातीं हैं, दुहरी, तिहरी जिम्मेदारियों के अतिरिक्त बोझ और बंदिश के डर से विवाह करने में भी डरतीं हैं अब. 

मैं सोचती हूँ आजकल कई बार. आप आज किस खेमे में होते ? राष्ट्रवादी या प्रगतिशील ? क्योंकि आप तो
परम्पराओं के भी समर्थक थे और प्रगतिशीलता के भी. कितना मुश्किल होता न आपके लिए आज का यह माहौल? या नहीं शायद। आप तो कह देते कि ‘क्या फ़ालतू सोचते रहते हो तुम लोग. अपना काम करो और बाकियों को अपना करने दो. बाकि सब ऊपर वाले पर छोड़ दो’. नेगिटिविटी आपके शब्दकोष में है ही नहीं न.  
हाँ टेक्नोलॉजी ने खूब तरक्की कर ली है. पता ही होगा कि अब दूर देश के किसी भी कोने में कॉल एकदम फ्री हो सकती है वह भी लाइव फोटो और विडियो के साथ. इस हिसाब से तो दुनिया कितनी छोटी और करीब हो गई है. एकदम एक परिवार की तरह. यह देखकर तो बड़ा मजा आता होगा आपको। परंतु इस दुनिया के लोगों की सोच संकुचित होती जा रही है. भौगोलिक सीमाओं पर पाबंदियां, लोगों में अलगाव। जैसे दूरियां कम ही नहीं होने देना चाहते। तकनीक का विकास और इंसान का गिराव। 
कभी कभी लगता है ये आभासी नजदीकियाँ अधिक सुखद हैं. लगता है कि आप आस पास ही हो कहीं. सब सुनते हो, सब देखते हो. कितनी ही बार आजमाया है मैंने। कितनी ही परेशानियां और तनाव, बस आपसे कह देने भर से ख़त्म हो जाते हैं. कितनी ही बार लगता है कि कहीं कोई है जो मुझे कुछ करने को प्रेरित कर रहा है या कुछ करने से रोक दे रहा है. जरूर आप ही ऊपर बैठे अपना मैनेजमेंट चलाते होंगे। लोग कहते हैं दुनिया में ‘लीडर’ ही नहीं बचे. कुछ करो यार पापा! भेजो किसी को या आ जाओ न आप ही.  
खैर छोड़ो! ये आज क्या ले बैठी मैं भी. आज आपका जन्मदिन है न. खूब हिचकियाँ आ रही होंगी। खूब मनपसंद पकवान मिल रहे होंगे। भारत में तो कब का दिन चढ़ चुका होगा। केक तो अबतक काट ही लिया होगा ? आपके यहाँ कौन सा टाइम जोन चलता है वैसे ?  
चलिए जो भी समय हो. ये लीजिये ब्रेड रोल्स बनाएं हैं आपके लिए. हाँ बाबा हाँ, देसी घी में ही तले हैं. नहीं आएगी ज़रा भी स्मेल रिफाइंड की. पता था मुझे। भगवान की भी ताक़त नहीं आपको सुधारने की. 
हैप्पी बर्थडे पापा  珞