क्या दे सजा उसको 
क्या फटकारे उसे कोई ,

हिमाक़त करने की भी 
जिसने इज़ाजत ली है
*********
हमारे दिन रात का हिसाब कोई 
जो मांगे तो क्या देंगे अब हम
उसके माथे पे बल हो, तो रात 
और फैले होटों पे दिन होता है.
**************



उसकी  पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास  
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं .
************



तेरे दिल  के पास जो 
खाली, बंजर जगह पड़ी  है 
देख वहीँ किनारे पर 
मेरी चाहत का झोंपडा है.
जिसकी छत पर लगाये हैं मैने 
अपनी वफ़ा के तिनके 
फर्श को जिसके मैंने नेह से लीपा है.
जिसे रोज़ जतन से मैं संवारती हूँ 
कहीं तेज़ हवाओं से 
तिनका तिनका बिखर न जाये 
*************