पिता माँ से नहीं होते
वह नहीं लगाते चिहुंक कर गले
नहीं उड़ेलते लाड़
नहीं छलकाते आँखें पल पल
रोके रखते हैं मन का गुबार
और बनते हैं आरोपी
देने के सिर्फ लेक्चर.
पर तत्पर सदा हटाने को
वह नहीं लगाते चिहुंक कर गले
नहीं उड़ेलते लाड़
नहीं छलकाते आँखें पल पल
रोके रखते हैं मन का गुबार
और बनते हैं आरोपी
देने के सिर्फ लेक्चर.
पर तत्पर सदा हटाने को
हर कांटा बच्चों के पथ से
खड़े वट वृक्ष की तरह
देते छाया कड़ी घूप में
और रहते मौन
नहीं मांगते क़र्ज़ भी
कभी अपने पितृत्व का।
देते छाया कड़ी घूप में
और रहते मौन
नहीं मांगते क़र्ज़ भी
कभी अपने पितृत्व का।
पिता जताते नहीं कि कितनी कडी धूप में है.
जब उनका साया नहीं होता तब ही पता चलता है.
पिता जब होते हैं
समझ में नहीं आते
पिता जब नहीं रहते
महान होते हैं।
बहुत ही संवेदनशील … दिल के करीब से लिखे जज्बात …
क्या कहूँ शिखा…सचमुच ऐसे ही होते हैं पिता..
ब्लॉग बुलेटिन के पितृ दिवस विशेषांक, क्यों न रोज़ हो पितृ दिवस – ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-06-2015) को "पितृ-दिवस पर पिता को नमन" {चर्चा – 2014} पर भी होगी।
—
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
—
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस की के साथ-साथ पितृदिवस की भी हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बस ऐसे ही होते है पिता माँ जैसे भी नहीं पर उनसे कम भी नहीं
sachhi dil chhune wali
बेहतरीन रचना
और आखिरी पंक्ति "नहीं मांगते कर्ज भी" लाजवाब
प्रणाम स्वीकार कीजियेगा
नहीं मंगाते कर्ज कभी अपने पितृत्व का,और नहीं देते लोन कभी अपनी बोज का !
पिता एक ऐसी हस्ती है जो अपनी सारी खुशियाँ आपने पुत्र में देखती है !
जिंदगी में एक पिता ही वो बैंक है जो बदनाम होने से अच्छा ,डूबने में धन्यता मानती है !
tabhi to pita aasman hain…….. jisk vistar aur ant ka koi ant nhi …
wakai pita maa se nahi hote
क्या बात
behatar
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आपकी लिखी रचना “सांध्य दैनिक मुखरित मौन में” आज गुरुवार 22 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है…. “सांध्य दैनिक मुखरित मौन में” पर आप भी आइएगा….धन्यवाद!
शुक्रिया