भावनाऐं हिंदी कविता की 
किताब हो गईं हैं
जो  ढेरों उपजती हैं 
पर पढीं नहीं जातीं.
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भावनाऐं  प्रेशर कुकर भी हैं 
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर 
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.
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भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता   है 
तो चाहिए होता है स्पर्श 
माथे पर ठंडी पट्टी सा 
दो  चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.