भावनाऐं हिंदी कविता की
किताब हो गईं हैं
जो ढेरों उपजती हैं
पर पढीं नहीं जातीं.
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भावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.
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भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
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अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
ये शोर मचाती भावनाए अच्छी लगी
स्पर्श माथे पर ठंडी पट्टी सा दो चम्मच मधुर बोलऔर एक टैबलेट प्यार की
……..रचना मनभावन है….शिखा जी
bhavnaye bhut sundar lagi hardik shubh kamnaye
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'जी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी
भावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.
…..
छोटी छोटी वस्तुओं को बिम्ब बना कर बड़ी बात कह देना ही नाम है शिखा वार्ष्णेय का कभी वो ’गट्ठे भावनाओं के’ हों अथवा प्रेशर कुकर की सीटी .. धुंआ से लेकर गुनगुने पानी तक .. को बिम्ब बनाकर आप सफल अभिव्यक्ति कर सकती हैं यह एक उदाहरन और है .. आपके काव्य संकलन की प्रतीक्षा रहेगी। – बधाई इस रचना के लिये
प्रेस्क्रिप्शन अच्छा लगा …नोट कर लिया है, काम आयेगा |
Shikha ji kya baat hain
bhavnao ko lekar kya khub likha hain.
shikha ji
kabhi-kabhar hamare blog ka bhi
tour laga liya kijiye…hamari bhavnao ko jara samjhiye..:)
apne blog ka link de rahi hun pahuchne main aasani hogi.
http://kisseaurkahaniyonkiduniya.blogspot.com
http://sheetalslittleworld.blogspot.com.
भावनाए भी आपकी भावना से प्रभावित होकर शब्दों में ढलकर प्रभावशाली बन जाती है . श्रीकांत जी की बात पर ध्यान दिया जय.
भावनाएं ….हिन्दी कविता की किताब ….लेकिन कुछ अपवाद हैं … जो संवेदनशील होते हैं पढ़ ही लेते हैं :):)
और जब आंच बंद नहीं की जाती तो प्रेशर कुकर फट जाता है और कुकर की तरह ही छत से टकरा कर औंधे मुंह गिर जाती हैं …. :):)
सिरप और टैबलेट याद रहेगी :):)
भावनाओं का सुंदर विश्लेषण ॥
आज तो गज़ब कर दिया ……:)
Thanks aane ke liye aur apni anmol pratikriyan dene ke liye.
ek baar fir se apne dusre blog ka link de rahi hun.
http://kisseaurkahaniyonkiduniyaa.blogspot.com
bhavnaon ko sunder shbdon ka jama pahnaya hai badhai
rachana
खुश होने के लिये कितना कम चाहिये..
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.kya upma hai….wah.
बहुत सुन्दर….
दिल में भरी भावनाएं, ट्रेन में भरे मुसाफिर की तरह भी होती हैं…एक उतरी है..दूसरी चढती है…खाली कभी नहीं होती…
🙂
आज शायद ब्लोगर में कोई प्रोब्लम है.बहुत शिकायत मिल रही हैं कमेन्ट बॉक्स न खुलने की अत: टिप्पणियाँ मेल से मिल रही हैं जिन्हें मैं यहाँ पोस्ट कर रही हूँ.
अमित श्रीवास्तव जी –
भावनाएं कभी ईंधन होती है और कभी उत्पाद .
भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
इसे कहते हैं जिए हुए भाव
प्रभावी…..
आपकी क्षणिकाओं को पढ़ने पर ऐसा लगा कि आप बहुत सूक्ष्मता से एक अलग धरातल पर भावनाओं को देखती हैं।
एक भावनात्मक संतुष्टि प्रदान कर गई क्षणिकाएं।
bahut naveen upmaon ko sanjoya hai .badhai .
भावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
कि पक चुकी हैं.
बंद की जाये आंच अब.'
-बाह्य और अंतःप्रकृति की प्रतिक्रियायें कितनी समरूप होती हैं न !
भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
सही है ..
बहुत खूब. बिलकुल अलग रंग में लिखी रचना.
सादर.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
—
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
बहुत ही सुन्दर.
नए तरीके से भावनाओं को समझती रचना .
भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की…
बहुत बढ़िया शिखा जी
भावनाओं हैं कभी कभी खुद को संभाल भी लेती हैं..
भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
kitna khoobsurat hai 🙂
rommantic and cute 😉
भावनाएं प्रेशर कूकर में उबलती सी , सही समय पर नहीं खोला तो उड़ जाए …
भावनाओं को चाहिए मधुर बोल और टेबलेट प्यार की …
भावनाओं की मधुर बयानगी …
अतिसुन्दर!
सुंदर विश्लेषण भावनाओं का …
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
मिलने के लिये शुभकामनायें।
Meethi meethi panktiyaa
bhavnayen antar ka kolahal hai jise shabdon k samooh mein gum hone se bachana hai….bahut sunder..
भावनाओं का ज्वार कभी कभी कलां के माध्यम से भी निकल जाता है …
अच्छी रचना है …
aajkal bhavnaon ka sparsh bhi kaaam nahi kar pata..!!
waise jo kaha.. wo satya wachan!!
itti himmat kahan jo kaat saken aapki baat!!
ham to pahle din se jante hain, lekhan ki har vidha me aap parangat ho… !!!
कितनी सहज और सरलता से भावानाओं को अपने वयक्त किया है….. अदभुत…
बहुत अच्छा लिखा । नई उपमाएँ ,नए प्रतीक !
भावनाऐं हिंदी कविता की
किताब हो गईं हैं
जो ढेरों उपजती हैं
पर पढीं नहीं जातीं.
क्या बात है!!! बहुत सच्ची बाते, सुन्दर तरीके से लिखी गयी. बहुत खूब.
"भावनाओं" को जिस तरह आपने अभिव्यक्त किया है, वो सब की सब नायाब हैं… भावनाएं अंग्रेज़ी किताब भी हो गयी हैं, जिन्हें सजाना एक स्टेटस सिम्बल हो जैसे, पढ़ना आवश्यक नहीं.. "यार, लाइफ में कुछ नहीं रह गया" जैसी भावनाएं इसी श्रेणी में आती हैं… 🙂
भावनाओं का कोई ओर छोर नहीं होता।
बढिया रचना।
कितने आश्वस्ति भरे सुखद पल होते हैं ये न 🙂
वाह, बढ़िया… भावनाएं प्रेसर कुकर, हिंदी की किताबें… अद्भुत तुलना…
वैसे भावनाएं हिंदी के ब्लॉग भी हो गई है… लोग समझते कम है, या तो यूँ ही होकर गुजर जाते हैं या फिर बिना पढ़े और समझे टिपया जाते हैं….
अच्छी रचना.. आनंद की अनुभूति हुई…
कुछ अलग…अनोखी सी रचना..
अच्छा लगा आपका लेखन ,आपका ब्लॉग..
सादर.
भावनाओं की लाजवाब व्याख्या…बहुत सुन्दर..
हार्दिक बधाई..
भावनाओं का ज्वर
जब चढ़ता है
तो चाहिए होता है स्पर्श
माथे पर ठंडी पट्टी सा
दो चम्मच मधुर बोल
और एक टैबलेट प्यार की.
NICE POST .BEAUTIFUL TOUCHING LINES.
खतरनाक बात कही है। ग़नीमत है कि कवि ध्यान से नही पढते हैं और ध्यान से पढने वाले कविता नहीं करते। 🙂
(मज़ाक है – आजकल बताना पड़ता है)
आपकी भावनाएँ पढ़कर मस्तिष्क में स्पंदन होने लगा…
wah, kya baat hai
आदरणीया शिखा जी होली की शुभकामनायें |
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति| होली की शुभकामनाएं।
भावनाऐं प्रेशर कुकर भी हैं
जब बढ़ता है दबाब
तो मचाती हैं शोर
चाहती है सुने कोई
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आपकी क्षणिकाएं कहर ढाती हैं…होली की शुभकामनायें
अतिम पंक्तियों ने दिल छू लिया बहुत खूब….
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