लोकप्रिय प्रविष्टियां

{New Observer Post Hindi Daily 28th nov.2009 (online edition )में प्रकाशित.} एक जमाना था जब पत्रमित्रता जोरों पर थी.देश विदेश में मित्र बनाये जाते थे, उसे ज्ञान बाँटने का और पाने का एक जरिया तो समझा ही जाता था, बहुत से तथाकथित रिश्ते भी बन जाया करते थे।और कभी कभी ब्लेक मैलिंग का सामान भी . आज यही काम इंटर…

तम्बू लग चुके हैं, सजावट हो चुकी है और बस बारात का आना बाकी है. जी हाँ लन्दन में २०१२ में  होने वाले ओलंपिक  के लिए अभी लगभग पूरा एक साल पड़ा है .परन्तु लन्दन एकदम तैयार है.लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं.स्टेडियम बनकर तैयार हैं.बस अन्दर की कुछ सजावट बाकी है जो जल्दी ही पूरी कर ली जाएगी. और……

एक बड़े शहर में एक आलीशान मकान था. ऊंची दीवारें, मजबूत छत, खूबसूरत हवादार कमरे और बड़ी बड़ी खिड़कियाँ जहाँ से ताज़ी हवा आया करती थी.  उस मकान में ज़हीन, खूबसूरत और सांस्कृतिक लोग प्रेम से रहा करते थे. पूरे शहर में उस परिवार की धाक थी. दूर दूर से लोग उनका घर देखने और उनके यहाँ अपना ज्ञान बढ़ाने…

याद है तुम्हें ? उस रात को चांदनी में बैठकर  कितने वादे किये थे  कितनी कसमें खाईं थीं. सुना था, उस ठंडी सी हवा ने  जताई भी थी अपनी असहमति  हटा के शाल मेरे कन्धों से. पर मैंने भींच लिया था उसे  अपने दोनों हाथों से.  नहीं सुनना चाहती थी मैं  कुछ भी  किसी से भी. अब किससे करूँ शिकायत …

आज़ तो लगता है जैसे जहाँ मिल गया, ये ज़मीन मिल गई आसमान मिल गया. हों किसी के लिए ,ना हों मायने इसके, मुझे तो मेरा बस एक मुकाम मिल गया. एक ख्वाब थी ये मंज़िल ,जब राह पर चले थे, एक आस थी ये ख्वाइश जब ,मोड़ पर मुड़े थे, धीरे-धीरे ये एक मुश्किल इम्तहान हो गया, पर आज़…

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