संसार एक मुट्ठी में .यही भाव आता है आज का लन्दन देख कर .लन्दन का नाम आते ही ज़हन में एक बहुत ही आलीशान शहर की छवि उभरती हैं .बकिंघम पेलेस, लन्दन ब्रिज, लन्दन आई, मेडम तुसाद और भी ना जाने क्या क्या.
पर इन सबसे अलग एक लन्दन और भी है, एक ऐसा शहर जो सारी दुनिया खुद में समाये हुए है आज ऐसे ही लन्दन से आपकी मुलाकात कराती हूँ. जहाँ आज लगभग ९० विभिन्न समुदायों के लोग निवास करते हैं और जहाँ ३०० से ज्यादा भाषाए बोली जाती हैं.जिनमें बंगाली, गुजरती, मेंडरीन, कौन्टेसी और प्रमुख हैं.और इसी एक पॉइंट पर लन्दन २०१२ में होने वाले ओलम्पिक खेलों का मेजबान बन गया.
लन्दन अनुसन्धान केंद्र के आंकड़े बताते हैं कि यहाँ ३३ विभिन्न समुदायों के १०;००० से ज्यादा ऐसे लोग रह रहे हैं जो इंग्लैंड से बाहर पैदा हुए हैं. और इसके अलावा १२ और विभिन्न समुदाय के ५००० से ज्यादा लोग यहाँ रहते हैं .प्रतिवर्ष यहाँ आने वाले आगंतुकों की संख्या १३ मिलियन हो चुकी है और २०१२ तक इनके बढ़ने की पूरी उम्मीद है .अमेरिका फ़्रांस ,जर्मनी ,इटली ,पोलेंड और स्पेन के बाद २०१२ में लन्दन में सर्वाधिक आगंतुकों के आने की उम्मीद के मद्देनजर पूर्वी और मध्य यूरोप की संस्कृति की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यहाँ के स्वं सेवक उनकी भाषाएँ पूरे जोश से सीख रहे हैं.
लन्दन हमेशा से कला और संस्कृति का गढ़ रहा है .जहाँ चर्च ऑफ़ इंग्लैंड प्रमुख है वहीँ विभिन्न समुदायों के धार्मिक स्थलों की भी कोई कमी नहीं है.
एक दक्षिण भारतीय मंदिर खूबसूरत गुरुद्वारा.
लन्दन के हर हिस्से में एक छोटा भारत ,चीन , बंगाल या रूस दिखाई पड़ जाता है .शायद इतनी विभिन्न चीज़ें आपने अपने देश में भी ना देखी हों जो यहाँ बहुत ही सहज रूप से मिल जाती हैं .हर इलाके में मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा दिखाई दे जाता है जहाँ अपने अपने धर्म की शिक्षा दी जाती है.बच्चों को उनकी अपनी संस्कृति से अवगत कराया जाता है.
लन्दन के हर हिस्से में एक छोटा भारत ,चीन , बंगाल या रूस दिखाई पड़ जाता है .शायद इतनी विभिन्न चीज़ें आपने अपने देश में भी ना देखी हों जो यहाँ बहुत ही सहज रूप से मिल जाती हैं .हर इलाके में मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा दिखाई दे जाता है जहाँ अपने अपने धर्म की शिक्षा दी जाती है.बच्चों को उनकी अपनी संस्कृति से अवगत कराया जाता है.
इंग्लैंड आमतौर पर अपने भोजन के लिए नहीं जाना जाता है उनका तो ले दे कर फिश एंड चिप्स है बस .इसलिए बाकी दुनिया के भोजन का यहाँ बहुत प्रभाव है खासकर भारतीय भोजन का.अब इतने साल भारत का आतिथ्य मिला है उन्हें, तो आदत तो लग ही जाएगी ना .लन्दन के हर मोड़ पर “इंडियन टेक अवे” मिल जाता है जहाँ चिकेन टिक्का मसाला, तंदूरी चिकेन ,नान और बासमती चावल इंग्लॅण्ड वासियों के मध्य बहुत लोकप्रिय हैं .
लन्दन के हर इलाके में भारतीय परंपरा के अनुसार कपड़ों की ,राशन की ,और खाने पीने के स्थलों की भरमार है. यहाँ तक कि ठेले और आवाज़ लगाकर बुलाते सब्जी और फल वाले भी मिल जाते हैं.
भारतीय श्रृंगार आभूषण और परिधान.
फलों का ठेला.
कोई ऐसी वस्तु नहीं जो यहाँ नहीं मिलती चाहे वो शादी के लिए कपडे हों या पूजा के लिए गजरे .कोई ऐसा पकवान नहीं जो यहाँ उपलब्ध ना हो .चाहे वो सर्वाना भवन का डोसा हो या गुजराती थाली ,गन्ने का रस हो या देसी पान की दूकान .सब कुछ हर इलाके में बहुत सहजता से उपलब्ध है .
सरवना भवन और उसका डोसा.
यूँ अगर सेंट्रल लन्दन के कुछ हिस्से छोड़ दिए जाएँ तो बाकी जगह पर हर दूसरा आदमी एशियन ही नजर आता है यानि आप पत्थर फेंको तो शर्तिया किसी भारतीय, पाकिस्तानी,बंगलादेशी या श्रीलंकन पर ही गिरेगा .इसका एक कारण ये भी है कि ब्रिटिश ,अलग थलग रहने वाले ,रूखे और विनम्र लोग माने जाते हैं. अत: वे मुख्य
शहर की भीड़ में रहना पसंद नहीं करते और शहर के बाहर रहना ज्यादा पसंद करते हैं .और उन्हें प्रभावित करना बहुत मुश्किल होता है.
लन्दन आज बहुआयामी संस्कृति ,फैशन ,मीडिया और मनोरंजन का केंद्र बना हुआ है..
नवरात्रों के समय हर इलाके में थोड़ी थोड़ी दूरी पर गरबा रास का आयोजन होता है ,बड़े बड़े होलो में दुर्गा पूजा के लिए भव्य मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं .तो ईद और दिवाली पर बच्चों को स्कूल से छुट्टी भी दी जाती है .यहाँ तक की ट्रेफेल्गर स्क्वायर में दिवाली का भव्य रंगारंग कार्यक्रम भी किया जाता है
दुर्गा पूजा.
भारत में रिलीज होने वाली हर हिंदी फिल्म लन्दन में भी उसी दिन रिलीज की जाती है. हर समुदाय और देश के लोगों के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन होते रहते हैं.और किसी भी समुदाय के लिए लन्दन अपनों से दूर एक ऐसा अपना घर है जहाँ रहते हुए अपने देश से दूर रहने का अहसास उन्हें नहीं सालता.
बहुत खूबसूरती से लन्दन घुमाया आपने दीदी…
आंकड़े उतने सही कहाँ से लायीं? लगता है काफी रिसर्च किया है…हा हा 🙂
वैसे बात तो सही कहा आपने की लन्दन के बहुत हिस्से में एक छोटा भारत, चीन, रूस बसा हुआ है…मेरी एक दोस्त जिस इलाके में रहती है वहां भी भारतीय रहते हैं….ये तो पता नहीं वो किधर रह रही है..
और ये भी सुन रखा है की भारतीय मूल के होटल और खाने वहां काफी ज्यादा फेमस है…अब आपसे सुन भी लिया…
लन्दन में ठेलों पे फल बिकते देख अच्छा लगा… 😉 वैसे सरवाना भवन के बारे में शायद सुन रखा है…याद आ रहा है नाम शायद..
लंदन का दोसा तो बिल्कुल हमारे यहां के काफी हाउस में बनने वाले दोसे की तरह है।
काफी रोचक जानकारी.
आज ही मसाला दोसे पर से हाथ साफ किया जाएगा
सबसे पहले तो एक आकर्षक कलेवर में "स्पंदित" होने की बधाई. अब और भी पारदर्शी व नजदीक सा लगता बन पडा है आपका ब्लॉग. यह बदलाव अच्छा लगा और…. आपको बधाई .
लन्दन में बसे भारतीय मिल कर एक और भारत रच रहे हैं तो यह उनकी उत्कट भारतीयता की गहरी छाप और देश की जड़ों से जुड़े रहने की भावना का ही सबूत है. देखिए नया दौर कि उधर आप लोग लन्दन में एक और भारत बना रहे हैं और इधर हम लोग भारत में एक लन्दन ही नहीं अमरीका और लास वेगास भी बनाने पर तुले हैं. कहीं अफ्रीका के भी दर्शन हो जाएंगे.
5/10
सुन्दर प्रस्तुति
लन्दन से परिचित कराती अच्छी पोस्ट
पोस्ट और भी बेहतर हो सकती थी
London ki History -geography, mixing
habbit-habitat, sabhi kuch ka detailing jankar sukhad ashcharye hua
sundar /jankari se bharpoor article
badhai
अरे! लंदन भी तो चूं-चूं का मुरब्बा निकला 🙂
Ye sab to apne desh sa hi hai…
यह जानकर अच्छा लगा कि यहाँ पान भी मिलता है आखिर पान जो खाता हूँ.
भारतीय और भारतीयता तो दुनिया के हर कोने में है ही.
सुन्दर और रोचक आलेख.
शिखा जी बेहद शानदार पोस्ट. यकीन मानिए इतना अच्छा लगा लन्दन में भारत को देखना की वाह!!!!! क्या कहने
videsh me bhi swadesh ki khoosbu
fir kya chahiye
मुझे तो बहुत ख़ुशी होती है सुनकर कि भारतीयता कि छाप दुनिया के कोने कोने में फ़ैल गयी है . चाहे वो व्यंजनों के रूप में हो या परिधानों के रूप में .या किसी और भी रूप में . जहा तक बात लन्दन कि है अब ऐसे कॉस्मोपोलिटन शहर में भारतीयता अपने शबाब पर है तो हर्ष तो होगा ही ना . ऊपर से ठेले से फल और सब्जी लेने का सुख मिले (शायद मोलभाव भी होता हो) तो निरे इंग्लिस्तानी भी इस रंग में रंग जाए .सारे धूम धड़ाके तो मौजूद है वहा भारतीय संस्कृति के उदगारो के .लेकिन वो ट्रेफेल्गर चौराहे पर दिवाली के दिन पटाखे फूटते होगे तो बीचारे कबूतरों का क्या होता होगा?? .
चलिए वो भी हमारे जैसा ही निकला ! पर ब्रिटिशर्स का कटे कटे रहना,अलग थलग,रूखे और विनम्र लोग ?…इस पर कभी कोई पोस्ट ज़रूर डालियेगा !
[बहरहाल आज की पोस्ट बहुत पसंद आई ! शुक्रिया ]
tumhare saath ek dilchasp sair kerna, dilchasp baaten jaanna bahut hi achha lagta hai
करीब करीब सभी लंदनवासियों के ऐसे ही अनुभव हैं….हमारे व्यंजनों के तो वे लोग दीवाने हैं .
तस्वीरें बिलकुल अपने देश जैसी ही लगीं…सुन्दर साड़ियों को देखकर आनंद आ गया.
बहुत ही ख़ूबसूरत पोस्ट.
बहुत बढ़िया जानकारी देती पोस्ट.. चित्र देख कर लगा ही नहीं कि यह लन्दन की हैं..
भारतीय व्यंजन हर जगह पसंद किये जाते हैं ..अच्छी जानकारी देने के लिए आभार —
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बढ़िया जानकारी दी आपने..और ये ब्लॉग बहुत खूबसूरत सजाया है आपने.
बहुत सुंदर चित्रण जी, मैने पहली बार किसी अग्रेज को अपनी तरह से खाते देखा था रोती को, सच मे हम ने इन्हे अपने भोजन का दिवाना बना दिया, लंडन (ईस्ट) मै तो कोई पंजाबी मुह्ल्ला हे तो कोई पंजाबी, साथ मे साउथ हाल का तो अपना ही नजारा हे, बहुत धन्यवाद इस सुंदर यात्रा ओर सुंदर चित्रो के लिये
शिखा जी , यह पढ़ कर दिल खुश हो गया , अहशास हीं नहीं हुआ कि मै कुछ पढ़ रहा हूँ या लन्दन स्थित भारत का भ्रमण कर रहा हूँ , बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति है , ऐसी सहज एवं सरल शब्दों का चयन ! यहीं तो आकर्षण है इसमें , पढ़ते-२ पुरे लन्दन का सैर !
शिखा जी
आपने वर्तमान इंगलेण्ड का बेहद खुबसूरती से चित्रण किया है … सच तो यही है कि आज हम सम्पूर्ण संसार को एक देश में कहीं देख सकते हैं तो वो है इंगलेण्ड … बेहद प्रभावशाली पोस्ट !
उदय
शिखा जी! हमने 1947 में जिनको भगा दिया, उन्होंने अभी भी भारत को समेटा हुआ है अपने अंदर, यही ख़ुशी की बात है. वरना आज तो अपने देश में ही पूछना पड़ता है कि भाई कहीं देखा है भारत को. और अब तो मनोज कुमार भी नहीं बनाते फिल्में कि इसी बहाने भारत दिख जाए. चलिए आपने पूरा भारत दिखा दिया लंदन में.
ये सरवना भवन तो कमाल की चेन है. दुनिया हर कोने में मौजूद. और त्यौहारों की झाँकी भी देख ली, मंदिर और गुरुद्वारा भी.. क्या बाकी रहा! कुछ भी तो नहीं.
अरे हाँ! आपका नया फॉर्मेट सुंदर है!!
अरे वाह..!
लन्दन के नजारे तो बहुत खूबसूरत हैं!
शिखा जी! हमने 1947 में जिनको भगा दिया, उन्होंने अभी भी भारत को समेटा हुआ है अपने अंदर, यही ख़ुशी की बात है. वरना आज तो अपने देश में ही पूछना पड़ता है कि भाई कहीं देखा है भारत को. और अब तो मनोज कुमार भी नहीं बनाते फिल्में कि इसी बहाने भारत दिख जाए. चलिए आपने पूरा भारत दिखा दिया लंदन में.
ये सरवना भवन तो कमाल की चेन है. दुनिया हर कोने में मौजूद. और त्यौहारों की झाँकी भी देख ली, मंदिर और गुरुद्वारा भी.. क्या बाकी रहा! कुछ भी तो नहीं.
अरे हाँ! आपका नया फॉर्मेट सुंदर है!!
सलिल वर्मा जी माफ़ कीजियेगा आपके कमेन्ट को कापी किया है ..दरअसल यही बात मेरे भी दिमाग में थी ..सो हमने नक़ल मार ली…वैसे भी अच्छे विचारों का अनुशरण करना ही चाहिए…शानदार प्रस्तुती…
लन्दन का यह कोण ही उसे अंतर्राष्ट्रीय शहर बनाने में मददगार है.. बिलकुल पत्रकारों वाली पोस्ट लगी आज… 🙂
एक बार लन्दन दर्शन तब किये थे, जब गये थे..एक बार आज कर लिए बिना गये. 🙂
London gayi to hun,par itna gaur karne ka mauqa nahi mila! Padhneme bada maza aaya!
ऐसा ही घुला मिला विश्व भाता है जहाँ पर सभी संस्कृतियाँ जीवित हों।
आपके साथ लंदन के विभिन्न स्थल घूमना अच्छा लगा। आपके साथ घूमने का एक फ़ायदा तो यह है कि गाइड का खर्चा बच जाता है, दूसरा कि आप भारतीयता के एंगल से चीज़ों को देखती हैं, और तीसरे की ज्ञान में भी काफ़ी वृद्धि हो जाती है।
लगा हर कोना घूम आया।
@ शायद इतनी विभिन्न चीज़ें आपने अपने देश में भी ना देखी हों
क्या देखेंगे … हमारे आधे से आधिक स्थल तो उनके ही नाम ढो रहा है …. जिस रोड पर हमारा ऑफिस है वह औकलैंड है। एक और ऑफिस है जिसमें कभी कर्जन बैठता था। अब हम जब वहां बैठते हैं तो उन्हें न चाहते हुए भी याद करना पड़ ही जाता है।
मनोज जी ! अंदर तक झकझोर गई आपकी दूसरी टिप्पणी.
पर इतना निराश न होइए कहा जाता है कि जो अपनी गलतियों को याद रखता है वो गलतियों को दोहराता नहीं है.उन अंग्रेजों की याद हमें यह एहसास कराएंगी कि कितने बड़े बेबकूफ थे हम जो कुछ व्यापारी आये और हमारे मालिक बन बैठे.और शायद वैसी ही गलतियाँ फिर न करें हम.क्योंकि जिस तरह के हालात बन रहे हैं मुझे लगता है वैसा ही वक्त फिर आने वाला है जल्द ही.जब एक बार फिर उभरते हिन्दुस्तान को लूटने की कोशिश हो सकती है.
बहुत अच्छी तरह नज़ारा कराया आपने लन्दन का बाकी सारी बातें तो यहाँ अमेरिका में भी सेम है …..स्वदेस से दुरी का अहसास नहीं होने देती लेकिन दीपावली पर छुट्टी में लन्दन ने बाज़ी मार ली 🙂
वो तो यहाँ नहीं होती ….और नहीं होती है दीपावली वाली आतिशबाजी 🙁
शिखा जी अंग्रेज़ तो चले गए हम तो उनकी अंग्रेज़ियत आज भी ढो रहे हैं।
एक आप हैं जो पश्चिम मे रह कर भी हिन्दुस्तानी भाव से चीज़ों को देखती हैं।
@रानी विशाल ! तो इस बार आप दिवाली मानाने यहाँ आ जाइये ऐसी दिवाली देखने को मिलेगी जैसी कि अब भारत में भी नहीं मिलती.( मनोज जी ने ठीक कहा है )हर थोड़ी दूर पर अभी से आतिशबाजी की दूकाने सज गई है.और दिवाली के २ दिन पहले और २ दिन बाद तक आकाश चमकता रहेगा 🙂
यह विनम्र छोटा क्यो ?
भारतीय रुप में लंदन के दर्शन करके मजा आया।
लंदन के इस रूप से रूबरू कराने का शुक्रिया ।
yahi haal Chicago aur NYC ka bhi hai …we indians are rocking 🙂
अबकि बार दीवाली लंदन में ही मनाएंगे,
कैसा रहेगा?
"यूँ अगर सेंट्रल लन्दन के कुछ हिस्से छोड़ दिए जाएँ तो बाकी जगह पर हर दूसरा आदमी एशियन ही नजर आता है यानि आप पत्थर फेंको तो शर्तिया किसी भारतीय, पाकिस्तानी,बंगलादेशी या श्रीलंकन पर ही गिरेगा…."
शिखा जी , आपका लन्दन के बारे में लेख पढ़कर अपना बचपना याद आ गया ! जब छोटा था तो इतिहास की किताब जब भी पढता था तो एक ही स्वप्न देखता था कि काश, हम भी कभी ब्रिटेन को अपना गुलाम बना पाते ! लगता है मेरा वह बाल्यस्वप्न धीरे-धीरे मूर्त रूप ले रहा है ! 🙂
सुंदर शब्दों में, विस्तार पूर्वक जानकारी दी है आपने, धन्यवाद!
आप की यह पोस्ट बहुत ही उपयोगी है!…मैने अपना राशिफल जान लिया है…अनेको शुभ-कामनाएं एवं ध्न्यवाद!
Yani aapka London, hamare ………(uff aapke bhi,)bharat ki ahsaas jagata hai….shandaar photo aur shandaaar rapat!!
dekha na!! aa gaya aapka post!!:)…:P
@ dhiru singh {धीरू सिंह} said…
यह विनम्र छोटा क्यो ?
सूत्र कह रहे तो लिखना पड़ा, मन नहीं था लिखने का 🙂
Bahut achha laga london ki ek jhalak pakar,aur aap ke blog par aakar.
kafii kam shabdon me is swapneele shahar ki sair karaane ke liye dhnyvaad.
sadar.
वाह…कमाल है…यक़ीन नहीं हो रहा कि ये लन्दन है…
आनन्द आ गया पोस्ट देखकर…
गर्व है…
आप पर और खुद के हिन्दुस्तानी होने पर.
प्रवासियों के लिए अच्छा ही है कि उन्हें भारत की दूरी कम महसूस होती होगी …….
बहुत विस्तार से बताया है तुमने …सुन्दर तस्वीरें …जैसे हम भी लन्दन घूम आये …!
आपने हमें भी साथ में लन्दन घुमा दिया शिखा जी बहुत सुन्दर तस्वीरें और वर्णन .
बहुत कुछ अनजाना जानने को मिला।
बहुत अच्छी जानकारी। डोसे का चित्र देखकर तो मन ललच गया वाह भाई वाह।
BAHUT HEE SUNDAR JANKAREE MILI..PADHTE PADHTE LAGA KI MAI KHUD HEE LONDON GHOOM AAYA …BADHAI
शिखा जी आज तो लंदन की सैर करना बहुत अच्छा लगा।भारतिइयता मे ऐसा तो जरूर कुछ है जो हर जगह अपनी छाप छोड देता है। बधाई आपको।
लंदन मे ही एक मिनी भारत बस रहा है।
वाह लंदन के एक अलग रूप से परिचय कराने का शुक्रिया शिखा जी …आप लोग जब बताते हैं तो ठीक ठीक समझ में आता है कि वास्तव में कहां क्या क्या खास है ..रटे रटाए फ़ार्मूले से अब कोफ़्त सी होने लगी है ..ब्लॉगिंग को सार्थकता देती पोस्ट । सहेजने लायक …चलिए आपके साथ घूम कर बहुत अच्छा लगा
बहुत आनंद आया आपकी इस पोस्ट के माध्यम से लंदन घूमने मे. शुभकामनाएं.
रामराम
लगा ही नहीं कि यह लंदन की झाँकी है…
स्पंदन पर लंदन
अभिनंदन,अभिनंदन!
har dunia ke bheetar kai dunia hoti hai di….yah landon bhi hat kai dunia samete hai … 🙂 achha khasa london ghum liya..main to thak gaya ab …:P
लन्दन की चहल-चुहल अच्छी रही !
तस्वीर क्लिक करके सोचा कि बड़ा करके देखूं , पर आकार ही नहीं बढ़ा ! खैर शब्द-चित्र तो हैं ही ! सुन्दर ! आभार !
मनोज जी का संकेत होगा कि किसी भी चीज से अभिभूत होने की प्रक्रिया में हम स्व-ज्ञान को सदैव जागृत रखें ! सुष्ठूक्तम् !!
लन्दन में भारतीयता के स्वाभाविक दर्शन होने पर हर भारतीय गर्वित है.
वाकई वर्तमान में लन्दन विभिन्न देशवासियों और संस्कृतियों का मिलाजुला स्वरूप ले चुका है.
– विजय तिवारी 'किसलय'
रोचक लेख , बहुत अच्छा लगा लन्दन के बारे में जानकार !
्हम आज तक अपने भारत से बाहर नही गये ,अपने शब्दों के माधयम से लन्दन की इतनी सजीव यात्रा कर दी आभार
लन्दन से परिचित कराती अच्छी पोस्ट …..
अच्छी जानकारी देने के लिए आभार !!
बेहतरीन जानकारी रोचक लेख के माध्यम से देने के लिए आभार thanks have a nice day
वाह लंदन के एक अलग रूप से परिचय कराने का शुक्रिया शिखा जी
बहुत बढ़िया जानकारी देती पोस्ट
shikha ji,
achhi jankaari aapse milti hai kabhi shayad kaam aa jaye hume. london shahar mein khane ki badi samasya hai hum jaise pure veg keliye. ab jo kabhi gaye to aapse saari jaankari lekar jaayenge. hamaare desh ki parv tyohaar wahan manaye jaate badi khushi ki baat hai. aisi anya jaankaari dete rahiyega. achhe lekh keliye badhai.
bahut dar prastuti.ek baar ko laga ki 'londan' hi pahuch gaye.sundar chitron ne post ki shobha me char chand laga diye.bahut mahnet ki hogi aape iske liye.aapki mahnet ko salam!
Diosa
Happy to know abt new london, have a request to wrote abt other cities of world, as u written abt a village in britten. 🙂
या तो आप लंदन घूमा कर ही छोड़ेंगी या आपके ब्लॉग को पढ़ कर लंदन के बारे में सोचेंगे … "अरे ये तो देखा हुवा लग रहा है यहाँ क्या जाना" …… बहुत बारीकी से पकड़ा है आपने लंदन को … बहुत लाजवाब ….
बहुत सुंदर आलेख..शिखा जी….
बधाई आपको…आभार….
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आप ने लंदन के विषय में लिखा है वो यकीनन काबिले तारिफ है। यकींन मानिए इस लेख को पढ़ कर ऐसा लग रहा था कि हम लंदन की सैर कर रहे है।
आप हमारे ब्लॉग पर अपना दस्तखत करिए। यकीन मानिए इससे हमारी लेखनी को मज़बूती मिलेगी।
रजनीश त्रिपाठी "चंचल"
लंदन तो खूब्-सुरत है ही…आपका वर्णन इसे और भी खूब-सुरत बना रहा है, धन्यवाद!
shukria ye sab jaankari dene ke liye
ab to khwahish hai ki hum bhi ek baar london ghoomen
वाह, शिखाजी बहुत सुन्दर चित्रो के साथ आप ने हमें लन्दन कि सैर करवा दी है
आपके साथ लंदन के विभिन्न स्थल घूमना बहुत अच्छा लगा।आप के शब्दो में जादु है
भारतीयता कि छाप दुनिया के कोने कोने में फ़ैल गयी है चाहे वो व्यंजनों के रूप में, हो या परिधानों के रूप में,या किसी भी रूप में….अब लगता है हम ने सही ही सुना था कि ऎसा कोई शहर नही जहाँ पर भारतीय नही है।इस बात पर हमे गर्व होना चाहिये।
london me dosa dekh ke achchha laga…
दिल लंदन-लंदन हो गया।
वाह…! शिखा जी वहाँ तो किसी चीज की कमी नहीं ….
सब कुछ तो मिल जाता है वहाँ ….
और त्यौहार भी …
जानकर ख़ुशी हुई भारतीयता किस कदर पुरे विश्व में अपने पैर पसारे है ….
उस्ताद जी इतनी म्हणत पोस्ट पर …?
वो भी तस्वीरों के साथ ….
तो भी ५०%….?
नाइंसाफी है ये तो …….
of course like your website but you need to check the spelling on quite a few of your posts. Several of them are rife with spelling problems and I find it very troublesome to tell the truth on the other hand I?¦ll certainly come again again.
You made certain nice points there. I did a search on the topic and found mainly persons will consent with your blog.