लन्दन में इस बार बसंत का आगमन ऐसा नहीं हुआ जैसा कि हुआ करता था. आरम्भ में ही सूखा पड़ने की आशंका की घोषणा कर दी गई. और फिर लगा जैसे बेचारे बादल भी डर गए कि नहीं बरसे तो उन्हें भी कोई बड़ा जुर्माना ना कर दिया जाये और फिर उन्हें तगड़ी ब्याज दर के साथ ना जाने कब…
लोकप्रिय प्रविष्टियां
उस शहर से पहली बार नहीं मिल रही थी मैं, बचपन का नाता था. न जाने कितनी बार साक्षात्कार हुआ था. उस स्टेशन से, विधान सभा रोड से और उस एक होटल से. यूँ तब इस शहर से मिलने की वजह पापा के कामकाजी दौरे हुआ करते थे जो उनके लिए अतिरिक्त काम का और हमारे लिए एक छोटे से…
रक्तिम लाली आज सूर्य की यूं तन मेरा आरक्त किये है. तिमिर निशा का होले होले मन से ज्यूँ निकास लिए है. उजास सुबह का फैला ऐसा जैसे उमंग कोई जीवन की आज समर्पित मेरे मन ने सारे निरर्थक भाव किये हैं लो फैला दी मैने बाहें इन्द्रधनुष अब होगा इनमे बस उजली ही किरणों का अब आलिंगन होगा इनमें …
कल एक आधिकारिक स्क्रिप्ट पर आये फीडबैक को देखकर मेरे एक कलीग कहने लगे, – “ऐसे फीडबैक देते हैं तुम्हारे यहाँ? लग रहा है सिर्फ कमियां ढूंढने की कोशिश करके पल्ला झाड़ा गया है, बजाय इसके कि इसमें सुधार के लिए कोई गाइड लाइन दी जाती” अब मैं उन्हें यह क्या बताती कि शायद हमारे उन अधिकारी को इसी काम के लिए रखा…
यूँ देखा जाए तो यह साल पूरी दुनिया के लिए ही खासा उथल पुथल वाला साल रहा. वहाँ भारत में नोटबंदी हंगामा मचाये रही, उधर अमरीका में विचित्र परिस्थितियों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत हो गई और इधर ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से किनारा कर लिया. हालाँकि रेफेरेंडम के नतीजे आने के तुरंत बाद ही इन्टरनेट पर उसे लेकर पछतावे की…