लोकप्रिय प्रविष्टियां

तुमने मांगी थी वह बाती, जो जलती रहती अनवरत करती रहती रोशन तुम्हारा अँधेरा कोना. पर भूल गए तुम कि उसे भी निरंतर जलने के लिए चाहिए होता है साथ एक दीये का डालना होता है समय समय पर तेल.वरना सूख करबुझ जाती है वह स्वयंऔर छोड़ जाती हैदीये की सतह पर भीएक काली लकीर……

सफ़ेद रंग का लम्बा वाला लिफाफा था और मोती से जड़े उसपर अक्षर. देखते ही समझ गई थी कि ख़त पापा ने लिखा है. पर क्या???? आमतौर पर पापा ख़त नहीं लिखा करते थे.बहने ही लिखा करतीं थीं और उनके लिफाफे गुलाबी,नीले ,पीले हुआ करते थे. कोई जरुरी बात ही रही होगी. झट से खोला था तो दो बड़े बड़े…

“In my next life I would like to be born an indian” जी नहीं… ये कथन मेरा नहीं ,मुझे तो ये रुतबा हासिल है….यह कथन है एक अंग्रेज़ का ..जी हाँ ठीक सुना आपने वो अंग्रेज़ जिन्हें भारत में कमियां और अपने देश में खूबियाँ ही नजर आती हैं.यह कहना है Sebastian Shakespeare का जो हाल ही में २ हफ्ते…

 दिल्ली पुस्तक मेले का परिसर, खान पान में व्यस्त जनता। किसी भी मेले का अर्थ मेरे लिए होता है, कि वहां वह सब वस्तुएं देखने, खरीदने को मिलें जो आम तौर पर बाजारों और दुकानों में उपलब्ध नहीं होतीं। और यही उत्सुकता मुझे पिछले महीने के,भारत में प्रवास के आखिरी दिन की व्यस्तता के बीच भी दिल्ली पुस्तक मेले में खींच ले…

ये उन दिनों की बात है, जब हवाई यात्रा आम लोगों के लिए नहीं हुआ करती थी और हवाई अड्डे तो फिर बहुत ही खास होते थे. आने वाले को लेने, पूरा कुनबा सज धज कर आया करता था.? साथ में फूल भी होते थे और कैमरा भी. अब क्योंकि यात्रा ख़ास होती थी तो सामान भी खास होता था…

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