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राष्ट्र मंडल खेल खतरे  में हैं क्यों?  क्योंकि एक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा सकते हम .बड़े संस्कारों की दुहाई देते हैं हम. ” अतिथि देवो भव : का नारा लगाते हैं परन्तु अपने देश में कुछ मेहमानों का ठीक से स्वागत तो दूर उनके लिए सुविधाजनक व्यवस्था भी नहीं कर पाए. इतनी दुर्व्यवस्था  कि  मेहमान भी आने से मना…

बोर हो गए लिखते पढ़ते आओ कर लें अब कुछ बातें कुछ देश की, कुछ विदेश की हलकी फुलकी सी मुलाकातें। जो आ जाये पसंद आपको तो बजा देना कुछ ताली पसंद न आये तो भी भैया न देना कृपया तुम गाली। एक इशारा भर ही होगा बस टिप्पणी बक्से में काफी जिससे अगली बार न करें हम ऐसी कोई  गुस्ताखी। तो…

रहे बैठे यूँ चुप चुप पलकों को इस कदर भींचे कि थोडा सा भी गर खोला ख्वाब गिरकर खो न जाएँ . थे कुछ बचे -खुचे सपने नफासत से उठा के मैने सहेज लिया था इन पलकों में  जो खोला एक दिन कि अब निहार लूं मैं जरा सा उनको तो पाया मैंने ये कि सील गए थे सपने आँखों के खारे पानी से …

तेरी नजरों में अपने ख्वाब समा मैं यूँ खुश हूँबर्फ के सीने में फ़ना हो ज्यूँ ओस चमकती है.  अब बस तू है, तेरी नजर है, तेरा ही नजरिया  मैं चांदनी हूँ जो चाँद की बाँहों में दमकती है.    तेरी सांसों से जो आती है वह खुशबू है मेरी  रात की रानी तो तिमिर के संग ही महकती है.  बेशक फूलों से भरे हों बाग़…

सुना है 21 दिसंबर को प्रलय आने वाली है ..पर क्या प्रलय आने में कुछ बाकी बचा है ?.भौतिकता इस कदर हावी है की मानवता गर्त में चली गई है, बची ही कहाँ है इंसानों की दुनिया जो ख़तम हो जाएगी।मन बहुत खराब है .. यूँ राहों पर कुलांचे भरती पल में दिखती पल में छुपती मृगनयनी वो दुग्ध.धवल सी चंचल चपल वो युव…

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